Monday, September 19, 2011

तू जिंदा है

तू जिंदा है, तू जिन्दगी की जीत पर यकीन कर,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर।

ये गम के और चार दिन, सितम के और चार दिन,
ये दिन भी जायेंगे गुज़र, गुज़र गए हज़ार दिन,
कभी तो होगी इस चमन पे भी बहार कि नज़र,
अगर कहीँ है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर।

सुबह और शाम के रंगे हुए गगन को चूम कर,
तू सुन ज़मीन गा रही है कब से झूम झूम कर,
तू आ मेरा श्रंगार कर, तू आ मुझे हसीं कर,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर।

हज़ार वेश धर के आयी, मौत तेरे द्वार पर,
मगर तुझे ना छल सकी चली गयी वो हार कर,
नयी सुबह के संग सदा तुझे मिली नयी उमंग,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर।

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