Friday, October 14, 2011

समय का पहिया


समय का पहिया चले रे साथी 
समय का पहिया चले 
फ़ौलादी घोंड़ों की गति से आग बरफ़ में जले रे साथी
समय का पहिया चले
रात और दिन पल पल छिन 
आगे बढ़ता जाय
तोड़ पुराना नये सिरे से 
सब कुछ गढ़ता जाय
पर्वत पर्वत धारा फूटे लोहा मोम सा गले रे साथी
समय का पहिया चले
उठा आदमी जब जंगल से 
अपना सीना ताने
रफ़्तारों को मुट्ठी में कर 
पहिया लगा घुमाने
मेहनत के हाथों से 
आज़ादी की सड़के ढले रे साथी
समय का पहिया चले 


-गोरख पाण्डेय

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