Thursday, December 1, 2011

रिश्ते


खुद कपड़े पहने
दूसरे को कपड़े पहने देखना
खुद कपड़े पहने
दूसरे को कपड़े न पहने देखना
खुद कपड़े न पहने
दूसरे को कपड़े न पहने देखना
तीन अलग- अलग रिश्ते बनाना है




इनमें से
पहले से तुम्हें मन बहलाना है
दूसरे को खोजने जाना है
तीसरे के साथ मिलकर
क्रान्ति और सृजन का परचम उठाना है।


-सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

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