Sunday, January 1, 2012

अपने लिए जिए तो क्या जिए

अपने लिए जिए तो क्या जिए
तू जी ऐ दिल जमाने के लिए
       हिम्मत बुलंद है अपनी पत्थर सी जान रखते हैं
       कदमों तले जमीं तो क्या हम आसमान रखते हैं
       गिरते हुए को उठाने के लिए, तू जी ऐ दिल ...
बाजार से जमाने  के कुछ भी न खरीदेंगे
हाँ बेचकर खुशी अपनी औरों के गम खरीदेगें
बुझते दिये, जलाने के लिए, तू जी, ऐ दिल ...
       अपनी खुदी को जो समझा, उसने खुदा को पहचाना
       आजाद फितरते–इंसान अंदाज़ क्यों गुलामाना
       सर ये नहीं है, झुकाने के लिए, तू जी ऐ दिल ...
नाकामियों से घबराकर तू क्यों उदास होता है
हम हमसफ़र बने तेरे तू क्यों उदास होता है
हंस तू सदा हसाने के लिये
तू जी ऐ दिल जमाने के लिए ...
       चल महताब लेकर चल, चल आफताब लेकर चल
       तू अपनी एक ठोकर में सौ इन्कलाब ले कर चल
       जुलमो- सितम मिटाने के लिए, तू जी , ऐ दिल ...

-'बादल' फिल्म का एक गीत 

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